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जानिये कलयुग का प्रारंभ कैसे और कब हुआ

kaise hui kalyug ki shuruat

पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से ऐसा माना जाता है कि एक युग लाखों वर्ष का होता है। जैसे कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है। लेकिन इस बात में हमेशा से मतभेद रहा है कि कलयुग का प्रारम्भ कब हुआ था।

जानिये कौन कौन सी पौराणिक बाते कलयुग से प्रारंभ से जुडी हुई है?

  • ऐसा माना जाता है कि युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के बाद में कलिकाल का प्रारम्भ हुआ था तो उनके कुछ स्वर्ग में सशरीर चले जाने के बाद कलिकाल का प्रारम्भ हुआ था।
  • कलयुग के संबंध में राजा परीक्षित से भी जुडी हुई है कलयुग संबंधी घटनाए। ऐसा माना जाता है कि कलयुग उनके मुकुट में छुपा हुआ था। उसने बाहर निकलकर राजा परीक्षित से जो वार्तालाप की उसका पुराणों में उल्लेख मिलता है।
  • आर्यभट्ट के हिसाब से महाभारत का युद्ध 3136 ईसा पूर्व को हुआ था। कहा जाता है महाभारत युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दिया था। तभी से कलयुग का आरंभ माना जाता है। भागवत पुराण ने अनुसार श्रीकृष्ण ने देह छोड़ने के बाद 3102 ईसा पूर्व कलिकाल का प्रारंभ हुआ था।
  • अधिकतर विद्वानों का मानना है कि कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ था। इस मान से कलियुग का काल 4,36,000 साल लंबा चलेगा। अभी तो कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था। जिस समय पांच ग्रह यानी कि मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्‍पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2020= 5122 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426882 वर्ष अभी बाकी है।
  • वर्तमान में यह 28वें चतुर्युर्ग़ी का कृतयुग बीत चुका है।  और यह कलियुग चल रहा है। कहा जाता है यह कलियुग ब्रह्मा के द्वितीय परार्ध में श्वेतवराह नाम के कल्प में और वैवस्वत मनु के मन्वंतर में चल रहा है। और अभी इसका प्रथम चरण चल रहा है।
  • श्रीमद्भागवत पुराण के हिसाब से शुखदेवजी राजा परीक्षित से कहते है कि जिस समय सप्तर्षि माघ नक्षत्र में विचरण कर रहे थे उस समय कलिकाल का प्रारंभ हुआ था।कलयुग की आयु देवताओं की वर्ष गणना से 1200 वर्ष की अर्थात मनुष्‍य की गणना अनुसार 4 लाख 32 हजार वर्ष की है।

कैसे होती गई थी धर्म को हानि?

सतयुग

ऐसा माना जाता है कि सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फ़ीट यानी कि लगभग 21 हाथ बताई गई है। सतयुग में पाप मात्र 0 विश्वा अर्थात् (0%) होती है। पुण्य की मात्रा 20 विश्वा अर्थात् (100%) होती है।

त्रेतायुग

त्रेतायुग में मनुष्य की लंबाई 21 फिट अर्थात लगभग 14 हाथ बतायी गई है। इस युग में पाप की मात्रा 5 विश्वा अर्थात् (25%) होती है और पुण्य की मात्रा 15 विश्वा अर्थात् (75%) होती है।

द्वापर

द्वापरयुग में मनुष्य की लंबाई 11 फिट अर्थात लगभग 7 हाथ बतायी गई है। इस युग में पाप की मात्रा 10 विश्वा अर्थात् (50%) होती है जबकि पुण्य की मात्रा 10 विश्वा अर्थात् (50%) होती है।

कलियुग

कलियुग में मनुष्य की लंबाई 5 फिट 5 इंच अर्थात लगभग साढ़े तीन हाथ बतायी गई है। इस युग में धर्म का सिर्फ एक चैथाई अंश ही रह जाता है। इस युग में पाप की मात्रा 15 विश्वा अर्थात् (75%) होती है, जबकि पुण्य की मात्रा 5 विश्वा अर्थात् (25%) होती है।

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